मेरी मेरी करत जनम सब बीता: Difference between revisions
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मेरी मेरी करत जनम सब बीता
परजय-रत स्वस्वरूप न जान्यो, ममता ठगनी ठग लीता।।मेरी. ।।१ ।।
इंद्री-सुख लखि सुख विसरानौ, पांचों नायक वश नहिं कीता।।मेरी.।।२ ।।
`द्यानत' समता-रसके रागी, विषयनि त्यागी ह्वै जग जीता ।।मेरी.।।३ ।।