भाई धनि मुनि ध्यान-लगायके खरे हैं: Difference between revisions
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भाई धनि मुनि ध्यान-लगायके खरे हैं
मूसल भारसी धार परै है बिजुली कड़कत सोर करै है।।भाई. ।।१ ।।
रात अँध्यारी लोक डरे हैं, साधुजी आपनि करम हरे हैं।।भाई.।।२ ।।
झंझा पवन चहूँदिशि बाजैं, बादर घूम घूम अति गाजैं।।भाई.।।३ ।।
डंस मसक, बहु दुख उपराजैं, `द्यानत' लाग रहे निज काजैं ।।भाई.।।४ ।।