वे साधौं जन गाई, कर करुना सुखदाई: Difference between revisions
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वे साधौं जन गाई, कर करुना सुखदाई
निरधन रोगी प्रान देत नहिं, लहि तिहुँ जग ठकुराई।।वे. ।।१ ।।
क्रोड़ रास कन मेरु हेम दे, इक जीवध अधिकाई।।वे.।।२ ।।
`द्यानत' तीन लोक दुख पावक, मेघझरी बतलाई।।वे.।।३ ।।