नंद: Difference between revisions
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<p id="4">(4) राजा धृतराष्ट्र तथा गांधारी का इकतीसवाँ पुत्र । <span class="GRef"> पांडवपुराण 8.196 </span></p> | <p id="4">(4) राजा धृतराष्ट्र तथा गांधारी का इकतीसवाँ पुत्र । <span class="GRef"> पांडवपुराण 8.196 </span></p> | ||
<p id="5">(5) गोकुल का प्रधान पुरुष एक गोप। यह यशोदा का पति और कृष्ण का पालक था। <span class="GRef"> महापुराण 70.381-402, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 11.58 </span></p> | <p id="5">(5) गोकुल का प्रधान पुरुष एक गोप। यह यशोदा का पति और कृष्ण का पालक था। <span class="GRef"> महापुराण 70.381-402, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 11.58 </span></p> | ||
<p id="6">(6) तीर्थंकर शांतिनाथ का चैत्यवृक्ष । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.52 </span></p> | <p id="6">(6) तीर्थंकर शांतिनाथ का चैत्यवृक्ष । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#52|पद्मपुराण - 20.52]] </span></p> | ||
<p id="7">(7) रावण का एक धनुर्धारी योद्धा । <span class="GRef"> पद्मपुराण 73.171 </span></p> | <p id="7">(7) रावण का एक धनुर्धारी योद्धा । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_73#171|पद्मपुराण - 73.171]] </span></p> | ||
<p id="8">(8) भरत के साथ दीक्षित और मुक्त हुआ एक उच्च कुलीन नृप। <span class="GRef"> पद्मपुराण 88.4 </span></p> | <p id="8">(8) भरत के साथ दीक्षित और मुक्त हुआ एक उच्च कुलीन नृप। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_88#4|पद्मपुराण - 88.4]] </span></p> | ||
<p id="9">(9) तीर्थंकर महावीर के पूर्वभव का जीव । <span class="GRef"> महापुराण 76.543 </span>यह छत्रपुर नगर के राजा नंदिवर्धन और उसकी रानी वीरमती का पुत्र था। आयु के अंत में इसने गुरू प्रोष्ठिल से संयम धारण कर लिया था। इससे तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया और समाधिपूर्वक शरीर त्यागा। यह अच्युत स्वर्ग में इंद्र हुआ और वहाँ से च्युत होकर कुंडपुर के राजा सिद्धार्थ के तीर्थंकर के अतिशयों से संपन्न वर्धमान नामक पुत्र हुआ। <span class="GRef"> महापुराण 74. 242-276, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 6.2-104, 7.110-111 </span></p> | <p id="9">(9) तीर्थंकर महावीर के पूर्वभव का जीव । <span class="GRef"> महापुराण 76.543 </span>यह छत्रपुर नगर के राजा नंदिवर्धन और उसकी रानी वीरमती का पुत्र था। आयु के अंत में इसने गुरू प्रोष्ठिल से संयम धारण कर लिया था। इससे तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया और समाधिपूर्वक शरीर त्यागा। यह अच्युत स्वर्ग में इंद्र हुआ और वहाँ से च्युत होकर कुंडपुर के राजा सिद्धार्थ के तीर्थंकर के अतिशयों से संपन्न वर्धमान नामक पुत्र हुआ। <span class="GRef"> महापुराण 74. 242-276, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 6.2-104, 7.110-111 </span></p> | ||
<p id="10">(10) राजा गंगदेव और रानी नंदयशा का चतुर्थ पुत्र । <span class="GRef"> महापुराण 71. 261-262 </span></p> | <p id="10">(10) राजा गंगदेव और रानी नंदयशा का चतुर्थ पुत्र । <span class="GRef"> महापुराण 71. 261-262 </span></p> |
Revision as of 22:21, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 167
(2) बलभद्र । यह बलि प्रतिनारायण के हंता पुंडरीक नारायण का भाई था । हरिवंशपुराण 25.35
(3) अकृत्रिम चैत्यालयों की पूर्व दिशा में विद्यमान स्वच्छ जल से परिपूर्ण मच्छ तथा कूर्म आदि से रहित एक ह्रद। हरिवंशपुराण 5. 372
(4) राजा धृतराष्ट्र तथा गांधारी का इकतीसवाँ पुत्र । पांडवपुराण 8.196
(5) गोकुल का प्रधान पुरुष एक गोप। यह यशोदा का पति और कृष्ण का पालक था। महापुराण 70.381-402, पांडवपुराण 11.58
(6) तीर्थंकर शांतिनाथ का चैत्यवृक्ष । पद्मपुराण - 20.52
(7) रावण का एक धनुर्धारी योद्धा । पद्मपुराण - 73.171
(8) भरत के साथ दीक्षित और मुक्त हुआ एक उच्च कुलीन नृप। पद्मपुराण - 88.4
(9) तीर्थंकर महावीर के पूर्वभव का जीव । महापुराण 76.543 यह छत्रपुर नगर के राजा नंदिवर्धन और उसकी रानी वीरमती का पुत्र था। आयु के अंत में इसने गुरू प्रोष्ठिल से संयम धारण कर लिया था। इससे तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया और समाधिपूर्वक शरीर त्यागा। यह अच्युत स्वर्ग में इंद्र हुआ और वहाँ से च्युत होकर कुंडपुर के राजा सिद्धार्थ के तीर्थंकर के अतिशयों से संपन्न वर्धमान नामक पुत्र हुआ। महापुराण 74. 242-276, वीरवर्द्धमान चरित्र 6.2-104, 7.110-111
(10) राजा गंगदेव और रानी नंदयशा का चतुर्थ पुत्र । महापुराण 71. 261-262
(11) विदेहक्षेत्र के गंधिला देश में पाटलिग्राम के निवासी वणिक् नागदत्त और उसकी स्त्री सुमति का ज्येष्ठ पुत्र । इसके नंदिमित्र, नंदिषेण, वरसेन और जयसेन छोटे भाई तथा मदनकांता और श्रीकांता छोटी बहिनें थी । महापुराण 6.128-130
(12) ऐशान स्वर्ग का देव-विमान । महापुराण 9.190
(13) एक यक्ष । इसने और इसके भाई महानंद यक्ष ने प्रीतिंकर कुमार को बहुत साधन देकर सुप्रतिष्ठनगर पहुँचाया था । महापुराण 76. 315