Test5
From जैनकोष
एकेंद्रिय जीवों के 42 भेद हैं-
पृथ्वी, जल, तेज, वायु, साधारण वनस्पति, और प्रत्येक वनस्पति । प्रत्येक वनस्पति के दो भेद - सप्रतिष्ठित और अप्रतिष्ठित। इस तरह एकेंद्रिय जीवों के सात भेद हुए।
इन सात के सूक्ष्म व बादर की अपेक्षा 14 भेद हुए।
ऐसे 14 भेद में हर एक के पर्याप्त, निर्वृत्यपर्याप्त व लब्ध्यपर्याप्त, इस तरह 42 भेद हुए।
(जै.सि.प्र. 54-57) - देखें बृहत् जैन शब्दार्णव/ द्वि. खंड।
Page भाव
नोट औदयिक भावों के उत्तर भेद
औदयिक भाव के इक्कीस भेद हैं। चार गति, चार कषाय, तीन लिंग, एक -एक मिथ्यादर्शन, अज्ञान, असंयम, असिध्द भाव और छह लेश्याएँ।