गांधारी
From जैनकोष
(1) स्वर सम्बन्धी मध्यम ग्रामाश्रित ग्यारह जातियों में प्रथम जाति । हरिवंशपुराण 19.176
(2) दिति द्वारा नमि और विनमि को प्रदत्त विद्याधरों की एक विद्या । हरिवंशपुराण 22.25
(3) गान्धार देश की पुष्कलावती नगरी के राजा इन्द्रगिरि और उसकी पत्नी मेरुसती की गन्धर्व आदि कलाओं में निपुण पुत्री । यह हिमगिरि की बहिन थी । कृष्ण ने हिमगिरि को मारकर इसका हरण किया था तथा बाद में उसके साथ विवाह कर उन्होंने इसे अपनी आठ पटरानियों में एक पटरानी बनाया । हरिवंशपुराण 44.45-49 पूर्वभवों में यह कौशल देश की अयोध्या नगरी के राजा रुद्रदत्त की विनयश्री नाम की रानी थी । आहारदान के प्रभाव वे यह उत्तरकुरु में आर्या हुई । इसके पश्चात् क्रमश: चन्द्रमा की प्रिया, गगनवल्लभ नगर के राजा विद्युद्वेगी की विजयश्री नाम की पुत्री और सर्वभद्र नामक उपवास करने के प्रभाव से मरकर सौधर्मेन्द्र की देवी हुई । यहाँ से चयकर यह कृष्ण की छठी पटरानी हुई । महापुराण 71.126-127, 415-428, हरिवंशपुराण 60.86-94
(4) भोजकवृष्णि की पुत्री, धृतराष्ट्र के साथ विवाहित और दुर्योधन, दुःशासन आदि सौ पुत्रों की जननी । इसकी माँ का नाम सुमति था । उग्रसेन, महासेन और देवसेन इसके भाई थे । पांडवपुराण 7. 142-145, 8. 108-110, 191-205 महापुराण में भोजकवृष्णि को नरवृष्णि तथा उसको पत्नी को पद्मावती कहा है । महापुराण 70.94, 100-101, 117-118
(5) विजयार्ध पर्वतस्थ गान्धार-नगर-निवासी विद्याधर रतिषेण की भार्या । वह कुलटा थी । बाद में कुबेरकान्त सेठ की युक्ति से वह आर्यिका हो गयी । महापुराण 46.228-343
(6) गन्धर्वगीत नगर के राजा सुरसन्निभ की भायी गन्धर्वा की जननी और भानुरक्ष की सास । पद्मपुराण 5,367
(7) संगीत की आठ जातियों में छठी जाति । यह मध्यम ग्राम के आश्रित होती है । पद्मपुराण 24.12, हरिवंशपुराण 19.176
(8) भरत क्षेत्र में स्थित एक नगरी । पद्मपुराण 31. 41