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- ...ण वंजणाण य जोगाण य संकमो हु विचारो। तस्स अभावेण तगं ज्झाणमवीचारमिदि वुत्तं।63।</span></p> ...के संक्रम का नाम वीचार है। यत: उस विचार के अभाव से यह ध्यान अवीचार कहा है।63। <span class="GRef"> (तत्त्वसार/7/48-50); (कषाय ...58 KB (690 words) - 10:05, 1 August 2023
- ...48 KB (105 words) - 11:57, 17 May 2021
- ...गेण पवित्ती संवरणं कुणदि असुहजोगस्स। सुहजोगस्स णिरोहो सुद्धुवजोगेण संभवदि ॥63॥ सुद्धुपजोगेण पुणो धम्म सुक ...र होता है और केवल आत्मा के ध्यान रूप शुद्धोपयोग से शुभयोग का संवर होता है ॥63॥ इसके पश्चात् शुद्धोपयोग से ...161 KB (2,719 words) - 17:15, 18 February 2024
- ...गेण पवित्ती संवरणं कुणदि असुहजोगस्स। सुहजोगस्स णिरोहो सुद्धुवजोगेण संभवदि ॥63॥ सुद्धुपजोगेण पुणो धम्म सुक ...र होता है और केवल आत्मा के ध्यान रूप शुद्धोपयोग से शुभयोग का संवर होता है ॥63॥ इसके पश्चात् शुद्धोपयोग से ...164 KB (2,892 words) - 04:11, 17 February 2023
- ...56 KB (790 words) - 15:21, 27 November 2023
- ...र विषय व्याधि प्रतिकार के समान होने से छद्मस्थों के पारमार्थिक सुख नहीं है।63।</span></p> ...86 KB (1,640 words) - 22:36, 17 November 2023
- <p class="HindiText">63 मीमांसा । एकदर्शन</p> ...110 KB (1,955 words) - 22:16, 17 November 2023
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:समयसार - गाथा 63-64 | अगला पृष्ठ ]] ...43 KB (84 words) - 11:58, 17 May 2021
- <td width="75" valign="top"><p class="HindiText">63/504</p></td> <td width="56" valign="top"><p class="HindiText">63/384</p></td> ...357 KB (33,626 words) - 20:09, 15 February 2024
- <span class="GRef"> श्लोकवार्तिक 2/1/5/63/269/3 </span><span class="SanskritText">पर्ययवद्द्र ...ंडी की भाँति युतसिद्धरूप वृत्ति होगी। <span class="GRef">( आप्तमीमांसा/62-63 )</span> </span></li> ...148 KB (3,763 words) - 15:11, 27 November 2023
- ...ंबूद्वीपपण्णत्तिसंगहो/13/131-135);(गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/63/164/6) </span><br /> ...72 KB (1,613 words) - 15:21, 27 November 2023
- ...</span> <span class="PrakritText">अभवसिद्धिय त्ति को भावो, पारिणामिओ भावो।63।</span><br /> ...54 KB (971 words) - 15:15, 27 November 2023
- ...आयुकर्म के क्षय को मरण का कारण माना है। <span class="GRef">( धवला 13/5,5,63/333/11 )</span>। </span><br> ...147 KB (2,432 words) - 15:20, 27 November 2023
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:नियमसार - गाथा 63 | अगला पृष्ठ ]] ...48 KB (146 words) - 16:34, 2 July 2021
- ...=<span class="HindiText ">पूर्वकृत फल के अनुबंध से उसकी उत्पत्ति होती है।63। पूर्व शरीरों में किये मन, वच ...69 KB (1,233 words) - 14:41, 27 November 2023
- ...">(मूलाचार/364, 584)</span>; <span class="GRef">( धवला/ पुस्तक 13/5, 4, 26/63/4)</span>; <span class="GRef">( कषायपाहुड़/1/1-1/90/117 ...123 KB (2,051 words) - 09:40, 16 January 2024
- <td>63/30 सागर</td> <td>63/30 सागर</td> ...269 KB (7,965 words) - 11:27, 15 February 2024
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:नियमसार - गाथा 63 | पूर्व पृष्ठ ]] ...58 KB (149 words) - 16:34, 2 July 2021
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:नियमसार - नियमसार गाथा 63 | अगला पृष्ठ ]] ...51 KB (550 words) - 13:39, 17 April 2020
- ...हाशुक्र तक तीन तीन बार=3 (7+9+11+13+15+17+19+21+23) =21+27+33+39+45+51+57+63+69=405 पल्य। शतार से अच्युत तक दो ...65 KB (546 words) - 14:41, 27 November 2023