तारक
From जैनकोष
- पिशाच जातीय व्यन्तर देवों का एक भेद–देखें - पिशाच ;
- म.पु./५८/६३ भरतक्षेत्र के मलय देश का राजा विन्ध्यशक्ति था। चिरकाल तक अनेकों योनियों में भ्रमणकर वर्तमान भव में द्वितीय प्रतिनारायण हुआ। विशेष परिचय– देखें - शलाकापुरुष / ५ ;
- पा.पु./१७/६५–अर्जुन (पाण्डव) का शिष्य एवं मित्र था। वनवास के समय सहायवन में दुर्योधन द्वारा चढ़ाई करने पर अपना शौर्य प्रगट किया।