मतिसमूद्र: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) चक्रवर्ती भरत का मंत्री । इसने वृषभदेव के समवसरण में सुने वचनों के अनुसार भरतेश के समक्ष ब्राह्मणों की पंचमकालीन स्थिति का यथावत् कथन किया था । भरतेश इसे सुनकर कुपित हुए थे और वे ब्राह्मणों को मारने को उद्यत हुए थे किंतु वृषभदेव ने ‘‘मा-हन्’’ कहकर उनकी रक्षा की थी । वृषभदेव इस कारण त्राता कहलाये तथा ‘‘मा-हन’’ ब्राह्मणों का पर्याय हो गया । <span class="GRef"> पद्मपुराण 4.115-123 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) चक्रवर्ती भरत का मंत्री । इसने वृषभदेव के समवसरण में सुने वचनों के अनुसार भरतेश के समक्ष ब्राह्मणों की पंचमकालीन स्थिति का यथावत् कथन किया था । भरतेश इसे सुनकर कुपित हुए थे और वे ब्राह्मणों को मारने को उद्यत हुए थे किंतु वृषभदेव ने ‘‘मा-हन्’’ कहकर उनकी रक्षा की थी । वृषभदेव इस कारण त्राता कहलाये तथा ‘‘मा-हन’’ ब्राह्मणों का पर्याय हो गया । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_4#115|पद्मपुराण - 4.115-123]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) राम का एक मंत्री । इतने कथाओं के माध्यम से राम को यह विश्वास दिलाया था कि एक योनि से उत्पन्न होने के कारण जैसा रावण दुष्ट है, वैसा विभीषण को भी दुष्ट होना चाहिए, यह बात नहीं है । इसके ऐसा कहने पर ही विभीषण को राम के पास आने दिया गया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 55.54-71 </span></p> | <p id="2">(2) राम का एक मंत्री । इतने कथाओं के माध्यम से राम को यह विश्वास दिलाया था कि एक योनि से उत्पन्न होने के कारण जैसा रावण दुष्ट है, वैसा विभीषण को भी दुष्ट होना चाहिए, यह बात नहीं है । इसके ऐसा कहने पर ही विभीषण को राम के पास आने दिया गया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_55#54|पद्मपुराण - 55.54-71]] </span></p> | ||
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Revision as of 22:27, 17 November 2023
(1) चक्रवर्ती भरत का मंत्री । इसने वृषभदेव के समवसरण में सुने वचनों के अनुसार भरतेश के समक्ष ब्राह्मणों की पंचमकालीन स्थिति का यथावत् कथन किया था । भरतेश इसे सुनकर कुपित हुए थे और वे ब्राह्मणों को मारने को उद्यत हुए थे किंतु वृषभदेव ने ‘‘मा-हन्’’ कहकर उनकी रक्षा की थी । वृषभदेव इस कारण त्राता कहलाये तथा ‘‘मा-हन’’ ब्राह्मणों का पर्याय हो गया । पद्मपुराण - 4.115-123
(2) राम का एक मंत्री । इतने कथाओं के माध्यम से राम को यह विश्वास दिलाया था कि एक योनि से उत्पन्न होने के कारण जैसा रावण दुष्ट है, वैसा विभीषण को भी दुष्ट होना चाहिए, यह बात नहीं है । इसके ऐसा कहने पर ही विभीषण को राम के पास आने दिया गया था । पद्मपुराण - 55.54-71