योगसार - संवर-अधिकार गाथा 245
From जैनकोष
भोक्ता-अभोक्ता का निर्णय -
द्रव्यतो भोजक: कश्चिद्भावतोsस्ति त्वभोजक: ।
भावतो भोजकस्त्वन्यो द्रव्यतोsस्ति त्वभोजक: ।।२४५।
अन्वय :- कश्चित् (ज्ञानी जीव:) द्रव्यत: भोजक: भावत: तु अभोजक: अस्ति । अन्य: (अज्ञानी जीव:) तु भावत: भोजक: द्रव्यत: तु अभोजक: अस्ति ।
सरलार्थ :- कोई ज्ञानी जीव द्रव्य से भोक्ता है, वही जीव भाव से अभोक्ता है । दूसरा मिथ्यादृष्टि/अज्ञानी जीव भाव से भोक्ता है और वही जीव द्रव्य से अभोक्ता है ।