योगसार - संवर-अधिकार गाथा 246
From जैनकोष
कौन किससे पूजनीय -
द्रव्यतो यो निवृत्तोsस्ति स पूज्यो व्यवहारिभि: ।
भावतो यो निवृत्तोsसौ पूज्यो मोक्षं यियासुभि: ।।२४६।।
अन्वय :- य: द्रव्यत: निवृत्त: स: व्यवहारिभि: पूज्य: अस्ति । य: भावत: निेवृत्त: असौ मोक्षं यियासुभि: पूज्य: (अस्ति) ।
सरलार्थ :- जो द्रव्य से निवृत्त अर्थात् अभोजक हैं वे व्यवहारियों से पूज्य हैं । जो भाव से निवृत्त अर्थात् अभोजक/अभोक्ता हैं, वे मुमुक्षुओं से पूज्य/पूजा को प्राप्त होते हैं ।