वर्णीजी-प्रवचन:मोक्षशास्त्र - सूत्र 5-39
From जैनकोष
कालश्च ।। 5-39 ।।
काल द्रव्य में द्रव्य स्वरूप का निरखन―और काल भी द्रव्य है । द्रव्य के अब मुख्य दो लक्षण हुए । जो उत्पादव्यय ध्रौव्य युक्त हो वह द्रव्य है । जो गुण पर्याय वाला हो वह द्रव्य है । दोनों ही लक्षण कालद्रव्य में घटित होते हैं । लोकाकाश के एक-एक प्रदेश पर एक-एक कालद्रव्य अवस्थित है और वह कालद्रव्य एक प्रदेशी है । उसकी पर्यायें समय-समय के रूप में प्रति समय प्रकट होती रहती हैं तो पर्याय दृष्टि से उत्पाद व्यय रहा और द्रव्य दृष्टि से ध्रौव्य रहा । इस प्रकार काल द्रव्य में उत्पाद व्यय ध्रौव्य तीनों ही पाये गये । इसी प्रकार जो ध्रौव्य है वह तो गुणों का है और उत्पाद व्यय पर्यायों का है । तो काल द्रव्य में भी सामान्य गुण हैं और परिणमन हेतुत्व नामक विशेष गुण भी हैं । तो काल द्रव्य में गुण पर्ययवद् द्रव्यं यह लक्षण भी घटित हो जाता है । जैसे कि आकाश आदिक जो द्रव्य हैं और उनमें द्रव्य के दोनों लक्षण घटित होते हैं ऐसे ही काल द्रव्य में भी दोनों ही लक्षण घटित होते हैं । काल द्रव्य में ध्रौव्य क्या है? सदा बना रहना । यह ध्रौव्य कालद्रव्य में अपने आपके स्वरूप के ही कारण है क्योंकि स्वभाव सदा काल व्यवस्थित रहता है । अब काल द्रव्य के जो उत्पाद और व्यय हैं वे परद्रव्य निमित्तक हैं और स्वनिमित्तक भी हैं । अगुरुलघुत्व गुण की हानि वृद्धि की अपेक्षा से देखें तो काल द्रव्य का परिणमन भी, उत्पादव्यय स्वनिमित्तक हुआ । अगुरुलघुत्व गुण भी कालद्रव्य का ही तो है और पर पदार्थों के परिणमन को निरखकर काल का ज्ञान होता है और समय व्यवहार परपरिणमन प्रत्ययक हो रहा है । इस कारण काल द्रव्य का उत्पाद व्यय पर प्रत्ययक भी है । इस प्रकार तो काल द्रव्य में पर्यायें है । अब इस काल द्रव्य के गुण भी देखिये―साधारण गुण भी हैं और असाधारण भी हैं । साधारण गुण तो अस्तित्त्व, वस्तुत्व आदिक हैं । असाधारण गुण वर्तना हेतुत्व है, अर्थात सर्व पदार्थों के परिणमन का निमित्त हुआ । कुछ गुण साधारण, असाधारण भी होते हैं । जैसे अचेतनपना काल द्रव्य में भी है, पुद्गल आदिक अन्य द्रव्य में भी हैं मगर समस्त द्रव्यों में नहीं है । जीव में अचेतनपना नहीं है । इस प्रकार काल द्रव्य में साधारण, असाधारण और साधारणासाधारण गुण हैं । तो इन गुण पर्यायों से द्रव्य का परिचय मिलता है तो काल द्रव्य में भी काल द्रव्य की गुण पर्यायों से काल द्रव्य का परिचय होता है । अब काल द्रव्य की पर्यायों का संकेत करने के लिये सूत्र कहते हैं ।