GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 122 - अर्थ
From जैनकोष
आकाश, काल, पुद्गल, धर्म, अधर्म में जीव के गुण नहीं हैं । उनके अचेतनता कही गई है तथा जीव के चेतनता है ।
आकाश, काल, पुद्गल, धर्म, अधर्म में जीव के गुण नहीं हैं । उनके अचेतनता कही गई है तथा जीव के चेतनता है ।