GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 163 - अर्थ
From जैनकोष
यदि अज्ञान से ज्ञानी ऐसा मानता है कि शुद्ध सम्प्रयोग (शुभभाव) से दु:ख-मोक्ष होता है तो वह जीव परसमयरत है ।
यदि अज्ञान से ज्ञानी ऐसा मानता है कि शुद्ध सम्प्रयोग (शुभभाव) से दु:ख-मोक्ष होता है तो वह जीव परसमयरत है ।