GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 63 - समय-व्याख्या - हिंदी
From जैनकोष
यहाँ ऐसा कहा है कि -- कर्म-योग्य पुद्गल (कार्माण-वर्गणा-रूप पुद्गल-स्कन्ध) अंजन-चूर्ण (अंजन के बारीक चूर्ण से) भरी हुई डिब्बी के न्याय से समस्त लोक में व्याप्त है; इसलिये जहां आत्मा है वहाँ, बिना लाए ही (कहीं से लाए बिना ही), वे स्थित हैं ॥६३॥