GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 119 - टीका हिंदी
From जैनकोष
इन्द्रादिक देवों के द्वारा वन्दनीय अरहन्त भगवान् देवाधिदेव कहलाते हैं । उनके चरणकमल वाञ्छित फल देने वाले हैं और कामदेव को विध्वंस करने वाले हैं । इसलिए गृहस्थों को चाहिए कि वे आदरपूर्वक प्रतिदिन अरहन्तदेव की पूजा करें, क्योंकि उनकी पूजा समस्त दु:खों का नाश करने वाली है ।