होरी खेलौंगी, घर आये चिदानंद कन्त: Difference between revisions
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(राग धमाल सारंग)
होरी खेलौंगी, घर आये चिदानंद कन्त ।।टेक ।।
शिशिर मिथ्यात गयो आई अब, कालकी लब्धि बसन्त ।।होरी. ।।
पिय सँग खेलनको हम सखियो! तरसीं काल अनन्त ।
भाग फिरे अब फाग रचानों, आयो बिरहको अन्त ।।१ ।।होरी. ।।
सरधा गागरमें रुचिरूपी, केसर घोरि तुरन्त ।
आनँद नीर उमंग पिचकारी, छोड़ो नीकी भन्त ।।२ ।।होरी. ।।
आज वियोग कुमति सौतनिकै, मेरे हरष महन्त ।
`भूधर' धनि यह दिन दुर्लभ अति, सुमति सखी विहसन्त ।।३ ।।होरी. ।।