चक्रलाभ: Difference between revisions
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<p> गृहस्थ की त्रपेन क्रियाओं में चवालीसवीं क्रिया । इस क्रिया में निधियों और रत्नों की प्राप्ति के साथ चक्र की प्राप्ति होती है तथा जिसे यह रत्न मिलता है उसे राजाधिराज मानकर प्रजा उसका अभिषेक करती है । महापुराण 38.61, 233</p> | <p> गृहस्थ की त्रपेन क्रियाओं में चवालीसवीं क्रिया । इस क्रिया में निधियों और रत्नों की प्राप्ति के साथ चक्र की प्राप्ति होती है तथा जिसे यह रत्न मिलता है उसे राजाधिराज मानकर प्रजा उसका अभिषेक करती है । <span class="GRef"> महापुराण 38.61, 233 </span></p> | ||
Revision as of 21:40, 5 July 2020
गृहस्थ की त्रपेन क्रियाओं में चवालीसवीं क्रिया । इस क्रिया में निधियों और रत्नों की प्राप्ति के साथ चक्र की प्राप्ति होती है तथा जिसे यह रत्न मिलता है उसे राजाधिराज मानकर प्रजा उसका अभिषेक करती है । महापुराण 38.61, 233