आतम जानो रे भाई!: Difference between revisions
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Latest revision as of 09:10, 15 February 2008
आतम जानो रे भाई!
जैसी उज्जल आरसी रे, तैसी आतम जोत ।
काया-करमनसों जुदी रे, सबको करै उदोत ।।आतम. ।।१ ।।
शयन दशा जागृत दशा रे, दोनों विकलपरूप ।
निरविकलप शुद्धातमा रे, चिदानंद चिद्रूप ।।आतम. ।।२ ।।
तन वचसेती भिन्न कर रे, मनसों निज लौं लाय ।
आप आप जब अनुभवै रे, तहाँ न मन वच काय ।।आतम. ।।३ ।।
छहौं दरब नव तत्त्वतैं रे, न्यारो आतमराम ।
`द्यानत' जे अनुभव करैं रे, ते पावैं शिवधाम ।।आतम. ।।४ ।।