लागा आतमरामसों नेहरा: Difference between revisions
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लागा आतमरामसों नेहरा
ज्ञानसहित मरना भला रे, छूट जाय संसार ।
धिक्क! परौ यह जीवना रे, मरना बारंबार ।।लागा. ।।१ ।।
साहिब साहिब मुंहतैं कहते, जानैं नाहीं कोई ।
जो साहिबकी जाति पिछानैं, साहिब कहिये सोई ।।लागा. ।।२ ।।
जो जो देखौ नैनोंसेती, सो सो विनसै जाई ।
देखनहारा मैं अविनाशी, परमानन्द सुभाई ।।लागा. ।।३ ।।
जाकी चाह करैं सब प्रानी, सो पायो घटमाहीं ।
`द्यानत' चिन्तामनिके आये, चाह रही कछु नाहीं ।।लागा. ।।४ ।।