अब पूरी कर नींदड़ी, सुन जिया रे! चिरकाल
From जैनकोष
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अब पूरी कर नींदड़ी, सुन जिया रे! चिरकाल तू सोया ।
माया मैली रातमें, केता काल विगोया ।।अब. ।।
धर्म न भूल अयान रे! विषयों वश वाला ।
सार सुधारस छोड़के, पीवै जहर पियाला ।।१ ।।अब. ।।
मानुष भवकी पैठ में जग विणजी आया ।
चतुर कमाई कर चले, मूढ़ौं मूल गुमाया ।।२ ।।अब. ।।
तिसना तज तप जिन किया, तिन बहु हित जोया ।
भोग मगन शठ जे रहे, तिन सरवस खोया ।।३ ।।अब. ।।
काम विथा पीड़ित जिया, भोगहि भले जानैं ।
खाज खुजावत अंगमें, रोगी सुख मानैं ।।४ ।।अब. ।।
राग उरगनी जोरतैं, जग डसिया भाई!
सब जिय गाफिल हो रहे, मोह लहर चढ़ाई ।।५ ।।अब. ।।
गुरु उपगारी गारुड़ी, दुख देख निवारैं ।
हित उपदेश सुमंत्रसों, पढ़ि जहर उतारैं ।।६ ।।अब. ।।
गुरु माता गुरु ही पिता, गुरु सज्जन भाई ।
`भूधर' या संसारमें, गुरु शरनसहाई ।।७ ।।अब. ।।