जिनराज ना विसारो, मति जन्म वादि हारो: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: '''(राग पंचम)''' <br> जिनराज ना विसारो, मति जन्म वादि हारो ।<br> नर भौ आसान नाहिं, द...) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''(राग पंचम)''' | '''(राग पंचम)'''<br> | ||
<br> | |||
जिनराज ना विसारो, मति जन्म वादि हारो ।<br> | जिनराज ना विसारो, मति जन्म वादि हारो ।<br> | ||
नर भौ आसान नाहिं, देखो सोच समझ वारो।।जिनराज ।।<br> | नर भौ आसान नाहिं, देखो सोच समझ वारो।।जिनराज ।।<br> |
Revision as of 13:03, 8 February 2008
(राग पंचम)
जिनराज ना विसारो, मति जन्म वादि हारो ।
नर भौ आसान नाहिं, देखो सोच समझ वारो।।जिनराज ।।
सुत मात तात तरुनी, इनसौं ममत निवारो ।
सबहीं सगे गरजके, दुखसीर नहिं निहारो ।।१ ।।जिनराज ।।
जे खायं लाभ सब मिलि, दुर्गति में तुम सिधारो ।
नट का कुटंब जैसा यह खेल यों विचारो ।।२ ।।जिनराज ।।
नाहक पराये काजै, आपा नरक में पारो ।
`भूधर' न भूल जगमैं, जाहिर दगा है यारो ।।३ ।।जिनराज ।।