तेरो संजम बिन रे, नरभव निरफल जाय
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तेरो संजम बिन रे, नरभव निरफल जाय
बरष मास दिन पहर महूरत, कीजे मन वच काय।।तेरो. ।।१ ।।
सुरग नरक पशु गतिमें नाहीं, कर आलस छिटकाय।।तेरो.।।२ ।।
`द्यानत' जा बिन कबहुँ न सीझैं, राजबिषैं जिनराय।।तेरो.।।३ ।।