नव प्रतिनारायण निर्देश: Difference between revisions
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<p class="HindiText"><strong id="V.3">3. प्रति नारायणों | <p class="HindiText"><strong id="V.3">3. प्रति नारायणों संबंधी नियम</strong></p> | ||
<p class="SanskritText"> तिलोयपण्णत्ति/4/1423 एदे णवपडिसत्तु णवाव हत्थेहिं वासुदेवाणं। णियचक्केहि रणेसुं समाहदा जंति णिरयखिदिं।1423।</p> | <p class="SanskritText"> तिलोयपण्णत्ति/4/1423 एदे णवपडिसत्तु णवाव हत्थेहिं वासुदेवाणं। णियचक्केहि रणेसुं समाहदा जंति णिरयखिदिं।1423।</p> | ||
<p class="HindiText">ये नौ प्रतिशत्रु युद्ध में नौ वासुदवों के हाथों से निज चक्रों के द्वारा मृत्यु को प्राप्त होकर नरक भूमि में जाते हैं।1423।</p> | <p class="HindiText">ये नौ प्रतिशत्रु युद्ध में नौ वासुदवों के हाथों से निज चक्रों के द्वारा मृत्यु को प्राप्त होकर नरक भूमि में जाते हैं।1423।</p> |
Revision as of 16:26, 19 August 2020
नव प्रतिनारायण निर्देश
1. नाम व पूर्वभव परिचय
क्रम |
महापुराण/ सर्ग/श्लो. |
1. नाम निर्देश |
2. कई भव पहिले |
3. वर्तमान भव के नगर |
||||
1. तिलोयपण्णत्ति/4/1413,519 2. त्रिलोकसार/828 3. पद्मपुराण/20/244-245 4. हरिवंशपुराण/60/291-292 5. महापुराण/ पूर्ववत् |
महापुराण/ पूर्ववत् |
पद्मपुराण/20/242-243 महापुराण/ पूर्ववत् |
||||||
सामान्य |
सं. |
विशेष |
नाम |
नगर |
पद्मपुराण |
महापुराण |
||
1 |
57/72,73 87-88,95 |
अश्वग्रीव |
|
|
विशाखनंदि |
राजगृह |
अलका |
अलका |
2 |
58/63,90 |
तारक |
|
|
विंध्यशक्ति |
मलय |
विजयपुर |
भोगवर्धन |
3 |
59/88,99 |
मेरक |
5 |
मधु |
चंडशासन |
श्रावस्ती |
नंदनपुर |
रत्नपुर |
4 |
60/70,83 |
मधुकैटभ |
5 |
मधुसूदन |
राजसिंह |
मलय |
पृथ्वीपुर |
वाराणसी |
5 |
61/74,83 |
निशुंभ |
5 |
मधुक्रीड़ |
|
|
हरिपुर |
हस्तिनापुर |
6 |
65/180-189 |
बलि |
5 |
निशुंभ |
मंत्री |
|
सूर्यपुर |
चक्रपुर |
7 |
66/109-111,125 |
प्रहरण |
3 5 |
प्रह्लाद बलीद्र |
नरदेव |
सारसमुच्चय |
सिंहपुर |
मंदरपुर |
8 |
68/11-13,728 |
रावण |
3 |
दशानन |
|
|
लंका |
लंका |
9 |
71/123 |
जरासंघ |
|
|
|
|
राजगृह |
|
2. वर्तमान भव परिचय
क्रम |
म.पु./सर्ग/श्लो. |
4. तीर्थ |
5. शरीर |
6. उत्सेध |
7. आयु |
8. निर्गमन |
||||
तिलोयपण्णत्ति/4/1371 |
1. तिलोयपण्णत्ति/4/1418 2. त्रिलोकसार/829 3. हरिवंशपुराण/60/310-311 |
1. तिलोयपण्णत्ति/4/1422 2. त्रिलोकसार/830 3. हरिवंशपुराण/60/320-321 4. महापुराण/ पूर्ववत् |
1. तिलोयपण्णत्ति/4/ 1438 2. त्रिलोकसार/ 832-833 3. महापुराण/ पूर्ववत् |
|||||||
वर्ण |
संहनन |
संस्थान |
सामान्य धनुष |
विशेष ह.पु. |
सामान्य वर्ष |
विशेष म.पु. |
||||
1 |
57/72-73 87-88 |
देखें तीर्थंकर |
तिलोयपण्णत्ति ―स्वर्णवर्ण; महापुराण –× |
समचतुरस्र संस्थान |
वज्र ऋषभ नाराच संहनन |
80 |
|
84 लाख वर्ष |
|
सप्तम नरक |
2 |
58/63,90 |
70 |
|
72 लाख |
|
षष्टम नरक |
||||
3 |
59/88,99 |
60 |
|
60 लाख |
|
षष्ठ (3 सप्तम) |
||||
4 |
60/70,83 |
50 |
40 |
30 लाख |
|
षष्ठम नरक |
||||
5 |
61/74,83 |
45 |
55 |
10 लाख |
|
षष्ठम नरक |
||||
6 |
65/180,189 |
29 |
26 |
65000 |
|
षष्ठम नरक |
||||
7 |
66/109-111,125 |
22 |
|
32000 |
|
पंचम नरक |
||||
8 |
68/11-13,728 |
16 |
|
12000 |
14000 |
चतुर्थ नरक |
||||
9 |
71/123 |
10 |
|
1000 |
|
तृतीय नरक |
3. प्रति नारायणों संबंधी नियम
तिलोयपण्णत्ति/4/1423 एदे णवपडिसत्तु णवाव हत्थेहिं वासुदेवाणं। णियचक्केहि रणेसुं समाहदा जंति णिरयखिदिं।1423।
ये नौ प्रतिशत्रु युद्ध में नौ वासुदवों के हाथों से निज चक्रों के द्वारा मृत्यु को प्राप्त होकर नरक भूमि में जाते हैं।1423।
देखें शलाका पुरुष - 1.4,5 दो प्रतिनारायणों का परस्पर में मिलान नहीं होता। एक क्षेत्र में एक काल में एक ही प्रतिनारायण होता है। इनका शरीर दाढ़ी मूँछ रहित होता है।