• जैनकोष
    जैनकोष
  • Menu
  • Main page
    • Home
    • Dictionary
    • Literature
    • Kaavya Kosh
    • Study Material
    • Audio
    • Video
    • Online Classes
    • Games
  • Share
    • Home
    • Dictionary
    • Literature
    • Kaavya Kosh
    • Study Material
    • Audio
    • Video
    • Online Classes
    • Games
  • Login

जैन शब्दों का अर्थ जानने के लिए किसी भी शब्द को नीचे दिए गए स्थान पर हिंदी में लिखें एवं सर्च करें

नव प्रतिनारायण निर्देश

From जैनकोष

 Share 



नव प्रतिनारायण निर्देश

1. नाम व पूर्वभव परिचय

क्रम

महापुराण/ सर्ग/श्लो.

1. नाम निर्देश

2. कई भव पहिले

3. वर्तमान भव के नगर

1. तिलोयपण्णत्ति/4/1413,519

2. त्रिलोकसार/828

3. पद्मपुराण/20/244-245

4. हरिवंशपुराण/60/291-292

5. महापुराण/ पूर्ववत्

महापुराण/ पूर्ववत्

पद्मपुराण/20/242-243

महापुराण/ पूर्ववत्

सामान्य

सं.

विशेष

नाम

नगर

पद्मपुराण

महापुराण

1

57/72,73

87-88,95

अश्वग्रीव

 

 

विशाखनंदि

राजगृह

अलका

अलका

2

58/63,90

तारक

 

 

विंध्यशक्ति

मलय

विजयपुर

भोगवर्धन

3

59/88,99

मेरक

5

मधु

चंडशासन

श्रावस्ती

नंदनपुर

रत्नपुर

4

60/70,83

मधुकैटभ

5

मधुसूदन

राजसिंह

मलय

पृथ्वीपुर

वाराणसी

5

61/74,83

निशुंभ

5

मधुक्रीड़

 

 

हरिपुर

हस्तिनापुर

6

65/180-189

बलि

5

निशुंभ

मंत्री

 

सूर्यपुर

चक्रपुर

7

66/109-111,125

प्रहरण

3

5

प्रह्लाद

बलीद्र

नरदेव

सारसमुच्चय

सिंहपुर

मंदरपुर

8

68/11-13,728

रावण

3

दशानन

 

 

लंका

लंका

9

71/123

जरासंघ

 

 

 

 

राजगृह

 


2. वर्तमान भव परिचय

क्रम

म.पु./सर्ग/श्लो.

4. तीर्थ

5. शरीर

6. उत्सेध

7. आयु

8. निर्गमन

तिलोयपण्णत्ति/4/1371

1. तिलोयपण्णत्ति/4/1418

2. त्रिलोकसार/829

3. हरिवंशपुराण/60/310-311

1. तिलोयपण्णत्ति/4/1422

2. त्रिलोकसार/830

3. हरिवंशपुराण/60/320-321

4. महापुराण/ पूर्ववत्

1. तिलोयपण्णत्ति/4/ 1438

2. त्रिलोकसार/ 832-833

3. महापुराण/ पूर्ववत्

वर्ण

संहनन

संस्थान

सामान्य

धनुष

विशेष

ह.पु.

सामान्य

वर्ष

विशेष

म.पु.

1

57/72-73

87-88

देखें तीर्थंकर

तिलोयपण्णत्ति ―स्वर्णवर्ण; महापुराण –×

समचतुरस्र संस्थान

वज्र ऋषभ नाराच संहनन

80

 

84 लाख वर्ष

 

सप्तम नरक

2

58/63,90

70

 

72 लाख

 

षष्टम नरक

3

59/88,99

60

 

60 लाख

 

षष्ठ (3 सप्तम)

4

60/70,83

50

40

30 लाख

 

षष्ठम नरक

5

61/74,83

45

55

10 लाख

 

षष्ठम नरक

6

65/180,189

29

26

65000

 

षष्ठम नरक

7

66/109-111,125

22

 

32000

 

पंचम नरक

8

68/11-13,728

16

 

12000

14000

चतुर्थ नरक

9

71/123

10

 

1000

 

तृतीय नरक


3. प्रति नारायणों संबंधी नियम

तिलोयपण्णत्ति/4/1423 एदे णवपडिसत्तु णवाव हत्थेहिं वासुदेवाणं। णियचक्केहि रणेसुं समाहदा जंति णिरयखिदिं।1423।

ये नौ प्रतिशत्रु युद्ध में नौ वासुदवों के हाथों से निज चक्रों के द्वारा मृत्यु को प्राप्त होकर नरक भूमि में जाते हैं।1423।

देखें शलाका पुरुष - 1.4,5 दो प्रतिनारायणों का परस्पर में मिलान नहीं होता। एक क्षेत्र में एक काल में एक ही प्रतिनारायण होता है। इनका शरीर दाढ़ी मूँछ रहित होता है।


पूर्व पृष्ठ

अगला पृष्ठ

Retrieved from "http://www.jainkosh.org/w/index.php?title=नव_प्रतिनारायण_निर्देश&oldid=106085"
Categories:
  • न
  • प्रथमानुयोग
JainKosh

जैनकोष याने जैन आगम का डिजिटल ख़जाना ।

यहाँ जैन धर्म के आगम, नोट्स, शब्दकोष, ऑडियो, विडियो, पाठ, स्तोत्र, भक्तियाँ आदि सब कुछ डिजिटली उपलब्ध हैं |

Quick Links

  • Home
  • Dictionary
  • Literature
  • Kaavya Kosh
  • Study Material
  • Audio
  • Video
  • Online Classes
  • Games

Other Links

  • This page was last edited on 14 December 2022, at 22:31.
  • Privacy policy
  • About जैनकोष
  • Disclaimers
© Copyright Jainkosh. All Rights Reserved
Powered by MediaWiki