प्राणी! सोऽहं सोऽहं ध्याय हो: Difference between revisions
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Latest revision as of 10:32, 15 February 2008
प्राणी! सोऽहं सोऽहं ध्याय हो
वाती दीप परस दीपक ह्वै, बूंद जु उदधि कहाय हो ।
तैसैं परमातम ध्यावै सो, परमातम ह्वै जाय हो ।।प्राणी. ।।१ ।।
और सकल कारज है थोथो, तोहि महा दुखदाय हो ।
`द्यानत' यही ध्यानहित कीजे, हूजे त्रिभुवनराय हो ।।प्राणी. ।।२ ।।