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- ...्ष्मण को युद्ध में हार जाना। अंत में पिता पुत्र का मिलाप हो गया। (103/41, 47)। अंत में मोक्ष प्राप्त किया ...iText"> सात स्तोक प्रमित काल । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_7#20|हरिवंशपुराण - 7.20]], </span>देखें [[ ...2 KB (42 words) - 15:21, 27 November 2023
- ..."> महापुराण 67.220-222 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_23#50|हरिवंशपुराण - 23.50]] </span></p> ...3 KB (61 words) - 15:20, 27 November 2023
- ...ass="HindiText"><strong> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_#20.18|पद्मपुराण - 20.18-24]]</strong> </p></td> ...0" rowspan="2" valign="top"><p class="HindiText"><strong>हरिवंशपुराण/60/150-155 </strong> </p></td> ...31 KB (3,308 words) - 22:21, 17 November 2023
- ...<span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_45#46|हरिवंशपुराण - 45.46-47]] </span></p> ...8, 123.121-130, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.101, 114-115 </span>अधिक जानकारी के लिए देखे ...4 KB (61 words) - 15:21, 27 November 2023
- ...कंपन-द्वारा समझाया जाने पर `अक्षमाला' कन्या को प्राप्तकर संतुष्ट हुआ /45/10-30। इसी से सूर्यवंश की उत्पत्त ...मपुराण - 5.260-261]]), ( [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#1|हरिवंशपुराण - 3.1-7]] )। </p> ...4 KB (97 words) - 14:39, 27 November 2023
- ...त् भगवान् ऋषभदेव के गुणसेन नामक गणधर हुए। (47/375)। अंत में मोक्ष सिधारे (47/399)। </li> ...उत्तरश्रेणी का चौबीसवां नगर । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_22#88|हरिवंशपुराण - 22.88]] </span></p> ...8 KB (153 words) - 15:25, 27 November 2023
- ...था । भगवान् ॠषभदेव के प्रथम गणधर हुए । (24/171) । अंत में मोक्ष सिधारे । (47/399) ।</p> ...रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_9#23|हरिवंशपुराण - 9.23]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_9#205|हरिवंशपुराण - 9.205]], 12.55 </span><span clas ...6 KB (80 words) - 15:25, 27 November 2023
- ...त अनुरक्त था। (6/48)। श्रीमती का चित्र देखकर पूर्व भव स्मरण हो आया। (7/137-140)। और उसका पाणिग्रहण किया। (7/2 ...ख उसे अपने घर ले गया। (99/1-4)। उसी के घर पर लव और कुश उत्पन्न हुए। (100/17-18)। </span></p></li> ...7 KB (106 words) - 15:21, 27 November 2023
- ...ा घोर तपकर अच्युत स्वर्ग में जन्म लिया। आगामी पर्याय से मोक्ष होगा। (47/286-289)।</p> ...था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_15#81|पद्मपुराण - 15.81-84]] </span></p> ...6 KB (81 words) - 11:07, 24 February 2024
- ...61/41) स्ववचनानुसार स्वर्ग से आकर कृष्ण की मृत्यु पर बलदेव को संबोधा (63/61-71) ...12 KB (285 words) - 15:30, 27 November 2023
- ...क देश का नगर । जयवर्मा इस नगर का नृप था । <span class="GRef"> महापुराण 7.40-41, 59.277 </span></p> ...न्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_9#42|हरिवंशपुराण - 9.42]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_9#10| 9.10]], </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2. ...5 KB (108 words) - 14:39, 27 November 2023
- ...ाने के बाद मुक्ति को प्राप्त किया (47/399) इन का अपर नाम श्रीषेण था (47/372-373)। ...त्र । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_54#27|पद्मपुराण - 54.27-28]] </span></p> ...10 KB (187 words) - 14:39, 27 November 2023
- ...HindiText"><strong>1. तिलोयपण्णत्ति/4/1185-1208 <br />2. हरिवंशपुराण/60/266-275 <br />3. महापुराण/ पूर्ववत्</strong></p ...HindiText"><strong>1. तिलोयपण्णत्ति/4/1185-1208 <br />2. हरिवंशपुराण/60/207-208 <br />3. महापुराण/ पूर्ववत्</strong> </p ...29 KB (3,566 words) - 22:21, 17 November 2023
- ...अहमिंद्र और तत्पश्चात् बाहुबली हुए थे । <span class="GRef"> महापुराण 47.365-366 </span></p> ...7 KB (89 words) - 15:15, 27 November 2023
- ...td width="52" valign="top"><p class="HindiText"><strong>तिलोयपण्णत्ति/4/644-667 </strong> </p></td> ...lass="HindiText"><strong>[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_#20.36|पद्मपुराण - 20.36-60]] </strong> </p></td> ...32 KB (3,582 words) - 22:21, 17 November 2023
- ...कल्याणकों को प्राप्त होकर महाऋिद्धियुक्त सुरेन्द्र इन्द्रों से पूजित हैं।93-94।</span></li> <div class="image-container-column"> ...20 KB (336 words) - 14:41, 27 November 2023
- ...िंग#3.5 | लिंग - 3.5]]) फिर चिरकाल तक धर्मोपदेश दे मोक्ष को प्राप्त किया (47/39)। ये भगवान् के मुख्य श्रोता ...19 KB (152 words) - 15:15, 27 November 2023
- <span class="GRef">त्रिलोकसार गाथा 223-224</span><p class=" PrakritText ">..दिगिंदा..।..॥223॥.. ...16 KB (316 words) - 14:40, 27 November 2023
- ...णन वायु पुराण में लिखा है-'कृत्वा द्विधा सिंधुमरून् सीतागात् पश्चिमोदधिम् (47,43) सिंधुमरु तकला-मकान के लिए उ ...वर्ष पर्यंत तपकर समाधिमरण किया। तथा सोलहवें स्वर्ग में देवेंद्र हुई (109/17-18)।</li> ...21 KB (237 words) - 15:30, 27 November 2023
- ...और पर का भेद नहीं होता । ऐसा करने से ही कर्तव्य की समग्र सिद्धि होती है ॥1-4॥<span id="5" /></p> ...22 KB (181 words) - 13:39, 10 August 2023