Search results
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:रयणसार - गाथा 98 | पूर्व पृष्ठ ]] ...12 KB (14 words) - 11:57, 17 May 2021
- ...16 KB (60 words) - 21:58, 29 November 2021
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- [[ वर्णीजी-प्रवचन:भावपाहुड - गाथा 98 | अगला पृष्ठ ]] ...16 KB (41 words) - 11:56, 17 May 2021
- ...ार की निवृत्ति करने वाला शब्दनय है। ( <span class="GRef">राजवार्तिक/1/33/9/98/12 ); ( हरिवंशपुराण/58/47 ); ( धवला 1/1,1,1/8 <span class="GRef">राजवार्तिक/1/33/9/98/23 </span><span class="SanskritText"> एवमादयो व्यभि ...49 KB (503 words) - 12:36, 1 March 2024
- ...ोयपण्णत्ति 4/76,1652,1672 </span>) 3. (<span class="GRef"> तिलोयपण्णत्ति 6/98 </span>); 4. (<span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4/68 </ ...40 KB (1,191 words) - 15:08, 26 February 2024
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:पंचास्तिकाय - गाथा 98 | अगला पृष्ठ ]] ...21 KB (80 words) - 16:35, 2 July 2021
- <p><strong> (98) मनुष्य में सींग का अभाव होने ...26 KB (57 words) - 11:55, 17 May 2021
- ...चन संक्षेप से असत्य वचन हैं। <span class="GRef"> पुरुषार्थ-सिद्ध्युपाय/96-98 । </span> <br /> ...23 KB (572 words) - 21:13, 27 February 2024
- ...1/1,1,15/ गाथा 115/179)</span>, <span class="GRef">( गोम्मटसार जीवकांड/46/98 )</span>।</span></p> ...29 KB (437 words) - 22:36, 17 November 2023
- ...्भग, (93) दुःस्वर, (94) अशुभ, (95) सूक्ष्म, (96) अपर्याप्ति, (97) अस्थिर, (98) अनादेय, (99) अयश:कीर्तिनामकर्म ...18 KB (143 words) - 11:55, 17 May 2021
- <p> उत्तर―अनिवृत्तिकरण गुणस्थान में 98 प्रकृतियों का संवर होता है । ...70 KB (471 words) - 11:55, 17 May 2021
- ...। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#95|हरिवंशपुराण - 3.95-98]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5 ...38 KB (752 words) - 14:40, 27 November 2023
- ...itText">चेयणरहियममुत्तं अवगाहलक्खणं च सव्वगयं...। तं णहदव्वं जिणुद्दिट्ठं ॥98॥</p> ...80 KB (1,252 words) - 14:40, 27 November 2023
- ...प्राकृत / अधिकार 1/177)</span>, <span class="GRef">(धवला पुस्तक 1/1,1,5/97-98/153)</span>, <span class="GRef">(पंचसंग्रह / संस् ...त्तमज्झं वियाणमिस्सं च अपरिपुण्णा ति। जो तेण संपयोगो आहारयमिस्सकायजोगो सो ॥98॥</p> ...77 KB (1,437 words) - 14:40, 27 November 2023
- ...ां विद्यामीप्सितार्थप्रदायिनीम्। तस्यै विश्राणयांचक्रे समंत्रं परशुं च सः ॥98॥</p> ...ेवाली कामधेनु नाम की विद्या और मंत्र सहित एक फरसा भी उसके लिए प्रदान किया ॥98॥</p> ...61 KB (917 words) - 22:15, 17 November 2023
- प्रमाण - <span class="GRef">षट्खण्डागम 14/5, 6/सूत्र 98-116/120-123</span> । <br /> | 1|| 98-99|| एक प्रदेशी|| हाँ || x|| x ...67 KB (665 words) - 09:46, 10 January 2024
- <span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/1/10/98/2 </span><span class="SanskritText">प्रमिणोति प्र ...81 KB (1,784 words) - 16:55, 29 February 2024
- <p>(<span class="GRef">राजवार्तिक अध्याय 1/33/10/98/31</span>)</p> ...32 KB (441 words) - 12:26, 1 March 2024
- ...तात्पर्यं वंदनायां मदोद्धृतिः। स्तब्धमत्यासन्नभावः प्रविष्टं परमेष्ठिनाम्।98। हस्ताभ्यां जानुनोः स्वस्य ...lass="HindiText"> हिंडोले की भाँति शरीर का अथवा मन का डोलना दोलायित दोष है।98-99। </span></li> ...92 KB (2,201 words) - 15:25, 27 November 2023