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- <p><strong>लहु चउगइ चइऊणं अइरेणऽपुणब्भवा होइ ।।45।।</strong></p> ...6 KB (35 words) - 11:55, 17 May 2021
- <p><strong>मुणिउ ण पंचहिं पंचहिं वि सो परमप्पु हवेइ ।।45।।</strong></p> ...38 KB (86 words) - 11:56, 17 May 2021
- <p><strong> </strong> <strong>स्याच्छब्दनेया: सकलेऽर्थभेदे ।।45।।</strong></p> ...5 KB (37 words) - 11:19, 11 December 2021
- <p><strong>णिच्छंति णिच्चयण्हू तव्विरीदं हि वा तेसिं ।।45।।</strong></p> ...22 KB (102 words) - 16:35, 2 July 2021
- 2 KB (46 words) - 17:41, 2 November 2013
- <p><strong>संठाणा सहण्णा सव्वे जीवस्स णो संति।।45।।</strong></p> ...36 KB (103 words) - 16:34, 2 July 2021
- <p><strong>सवणत्तणं ण पत्तो णियाणमित्तेण भवियणुय ।।45।।</strong></p> ...9 KB (34 words) - 11:56, 17 May 2021
- <p><strong>णिम्मलसहावजुत्तो सो पावइ उत्तम सोक्खं ꠰꠰45।।</strong></p> ...16 KB (51 words) - 11:56, 17 May 2021
- दाणाइ सुगुणभंगं गइभंगं मिच्छत्तमेव हो कट्ठं।।45।। ...9 KB (16 words) - 11:57, 17 May 2021
- <p><strong>जस्स फलं तं वुच्चइ दुक्खं ति विपच्चमाणस्स ।।45।।</strong></p> ...48 KB (105 words) - 11:57, 17 May 2021
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- ...ी दिशाओं में फैली रहती है। जो एक हजार राजाओं का पालन करता है वह महाराज है।45। <span class="GRef">( धवला 1/1, 1/ गाथा 40/57)</span>; < ...2 KB (49 words) - 14:39, 27 November 2023
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- ...राणां चारित्रोत्पत्तिवृद्धिरक्षांगम्। चरणानुयोगसमयं सम्यग्ज्ञानं विजानाति ॥45॥ </p> ...3 KB (55 words) - 14:41, 27 November 2023
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- <p><span class="GRef">( धवला पुस्तक 1/1,1,1/गाथा 45/58)</span>।</p> ...4 KB (72 words) - 14:39, 27 November 2023
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- ...( हरिवंशपुराण/58/44 ); ( नयचक्र / श्रुतभवन दीपक/ पृष्ठ 13); ( तत्त्वसार/1/45 )</span>।</span><br /> ...24 KB (410 words) - 10:47, 17 February 2024
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